बच्चों को लगते जो प्यारे
वो कहलाते हैं गुब्बारे
गलियों, बाज़ारों, ठेलों में
गुब्बारे बिकते मेलों में
काले, लाल, बैंगनी, पीले
कुछ हैं हरे, बसन्ती, नीले
पापा थैली भर कर लाते
जन्म-दिवस पर इन्हें सजाते
गलियों, बाजारों, ठेलों में
गुब्बारे बिकते मेलों में
फूँक मार कर इन्हें फुलाओ
हाथों में ले इन्हें झुलाओ
सजे हुए हैं कुछ दुकान में
कुछ उड़ते हैं आसमान में
मोहक छवि लगती है प्यारी
गुब्बारों की महिमा न्यारी
Nice lines
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