Saturday 30 April 2022

Tu Kaha


जुड़ ना पाये बाद तेरे
टुकड़े दिल के रखूं क्या
याद तेरी कोई बात नहीं
लफ़्ज़ों में मैं लिखूं क्या

छाओ थी तेरे साथ की
बे रेहम धुप में
दीवानावार फिरूं
खोके अपना सायबान

तू मेहरम ना रहा मेरा
तू मेहरम ना रहा

चुप ने ऐसी बात कही
ख़ामोशी में सुन बैठे
जन्मों जो ना बीत सके
हम वो अँधेरे चुन बैठे

कितनी करूँ मैं इल्तिजा
साथ की चाँद से
दिल भरके आहे थक गया
फिर भी ना रो पाये हम

मैं सुन रहा था
सुन रहा था सभी
तू सुन सका ना
सुन सका ना कभी

उलझी सब ख्वाहिशों में
लफ़्ज़ों की बारिशों में
दिल का मकान ना रहा

No comments:

Post a Comment