Friday 19 April 2019

मेरी बेटी

तुम सर्दी में इतनी सुंदर क्यों हो जाती हो मेरी बेटी
गोल-मटोल स्कार्फ बांध कर
नन्हीलाल चुन्नी जैसी नटखट क्यों बन जाती हो मेरी बेटी

मेरी बेटी, मेरी जान, मेरी भगवान,
मेरी परी, मेरी आन, मेरा मान
मेरी ज़िंदगी का मेरा सब से बड़ा अरमान
लगता है जैसे मैं तुम्हें खुश रखने
और देखने के लिए ही पैदा हुआ हूं

मन करता है
तुम्हारे बचपन के बहाने
अपने बचपन में लौट जाऊं
जैसे गेहूं और बथुआ आपस में खेल रहे हैं
मैं भी तुम्हारे साथ खेलूं

तुम्हें किस्से सुनाऊं
हाथी, जंगल और शेर के
राजा, रानी, राजकुमार और परी के
तुम को घेर-घेर के
उन सुनहरे किस्सों में लौट जाऊं
जिन में चांद पर एक बुढ़िया रहती थी

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