Friday 18 March 2016

पलना

चन्दन का पलना, रेशम की डोरी
झूला झुलाऊँ निंदिया को तोरी

सो जा तू ऐसे मोरी सजनिया
सजिया पे सोये जैसे दुल्हनिया
चन्दा का टीका माथे लगाऊँ
तारों की माला तुझको पिहनाऊँ
तोहे सुलाऊँ गा गा के लोरी
झूला झूलाऊँ निंदिया को तोरी

ऊँचे गगन से कोई बुलाये
आई हैं परियां डोला सजाये
साजन से मिलने दूर चली जा
उड़के तू निंदिया फूर चली जा
चन्दा पुकारे आजा चकोरी
झूला झूलाऊँ निंदिया को तोरी
चन्दन का पलना.

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