Monday 23 September 2019

तितली

ओ री तितली, कहाँ चली तू,
कितनी अच्छी और भली तू!

खूब सँवरकर जब आती है,
रंगों का गाना गाती है।

फूल देखते रह जाते हैं,
खिल-खिल हँसते-मुसकाते हैं।

पंखों में उनकी खुशबू ले,
और हवाओं में बिखरा दे!