Thursday 15 March 2018

फूल खिले शाखों पे नए और दर्द पुराने याद आये

भूली बिसरी चांद उम्मीदें, चंद फ़साने याद आये
तुम याद आये और तुम्हारे साथ ज़माने याद आये

दिल का चमन शादाब था फिर भी ख़ाक सी उडती रहती थी
कैसे ज़माने ग़म-ए-जानां तेरे बहाने याद आये

ठंडी सर्द हवा के झोंके आग लगा कर छोड़ गए
फूल खिले शाखों पे नए और दर्द पुराने याद आये

हंसने वालों से डरते थे, छुप छुप कर रो लेते थे
गहरी - गहरी सोच में डूबे दो दीवाने याद आये