Thursday 12 February 2009

अधुरा खवाब


सपने थे , जाने कितने ,

पता नही कहा खो गए ,

जैसे समय के साथ बह गए ,


सोचा था माँ के साथ रहेंगे ,

कुछ खट्टी मीठी बात करेंगे ,

कुछ छेड़ छाड़, कुछ तकरार ,

पर पता न था ,

न हो सकेगा ये सपना साकार ,


आधा आधुरा सा ये जीवन ,

अब कभी न हो सकेगा पुरा ,

जब तुम ही न रहे मेरे पास ,

कौन सुने अब मेरी आवाज़ ,


written by me